स्थिति-समय ग्राफ Position-Time Graph
स्थिति-समय ग्राफ Position-Time Graph
गति के दौरान किसी कण के गति के घटक चर v, a, s समय के साथ बदलते रहते है, जिन्हे ग्राफ के द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है। जब ग्राफ के द्वारा समय के साथ किसी गतिमान कण की स्थिति का विश्लेषण किया जाता है तो इसे स्थिति-समय ग्राफ कहते है। स्थिति-समय ग्राफ में हम X-अक्ष पर समय t तथा Y-अक्ष पर कण की स्थिति y को दर्शाते है। जैसे की चित्र में दिखाया गया है-
माना किसी गतिमान कण के लिए
स्थिति-समय ग्राफ AB है तब,
वेग = स्थिति में परिवर्तन/लिया गया समय
v =
y2 – y1/t2
– t1 --------- (i)
त्रिभुज ABC से,
tanθ = BC/AC = AD/AC = y2 – y1/t2
– t1 --------(ii)
समीकरण
(i) व (ii) की
तुलना करने पर
v =
tanθ
अतः स्पष्ट है कि स्थिति-समय
ग्राफ की प्रवणता कण के वेग को प्रदर्शित करती है।
विभिन्न स्थिति-समय ग्राफ तथा उनकी व्याख्या
ग्राफ - 1
जब θ = 0° अतः v =
0
अर्थात समय अक्ष के समान्तर
रेखा कण की विराम स्थिति को प्रदर्शित करती है।
ग्राफ - 2
जब θ =90° अतः v = ∞
अर्थात समय अक्ष के लम्बवत
रेखा यह प्रदर्शित करती है कि कण की स्थिति परिवर्तित हो रही है, परन्तु समय
परिवर्तित नहीं हो रहा। इसका अर्थ है कि कण का वेग अनन्त है। व्यवहार में यह सम्भव
नहीं है।
ग्राफ - 3
जब θ = नियतांक अतः v = नियतांक ⟹ a = 0
अर्थात नियत ढाल की रेखा कण
के एकसमान वेग को प्रदर्शित करती है।
ग्राफ - 4
जब θ बढ़ रहा है अतः v बढ़ रहा है तथा a धनात्मक है
अर्थात स्थिति अक्ष की ओर
झुकने वाली रेखा कण के बढ़ते वेग को प्रदर्शित करती है। इसका अर्थ यह भी है कि कण त्वरित
हो रहा है।
ग्राफ - 5
जब θ घट रहा है अतः v घट रहा है तथा a ऋणात्मक है
अर्थात समय अक्ष की ओर झुकने
वाली रेखा कण के घटते वेग को प्रदर्शित करती है। इसका अर्थ यह भी है कि कण मंदित हो
रहा है।
ग्राफ - 6
जब θ नियत है परन्तु, >
90° अतः v नियत है लेकिन ऋणात्मक होगा।
अर्थात ऋणात्मक ढाल की रेखा
यह प्रदर्शित करती है कि कण निर्देश बिन्दु की और लौट रहा है। यह ऋणात्मक विस्थापन
को प्रदर्शित करता है।
ग्राफ - 7
विभिन्न ढालों के सरल रेखीय
खण्ड यह प्रदर्शित करते है कि एक निश्चित समय अन्तराल के बाद कण का वेग परिवर्तित हो
जाता है।
ग्राफ - 8
यह ग्राफ यह प्रदर्शित करता
है कि किसी एक क्षण पर कण की दो स्थितियाँ है जो कि सम्भव नहीं है।
ग्राफ - 9
यह ग्राफ यह प्रदर्शित करता है कि कण प्रारम्भ में मूल अवस्था की ओर आता है तथा फिर यह मूल अवस्था से दूर जाता है।
ग्राफ - 10
दूरी तथा समय के बीच खिचा गया ग्राफ सदैव बढ़ता हुआ वक्र प्राप्त होता है यह कभी भी अपनी मूल अवस्था पर नहीं आ सकता क्योंकि समय के साथ दूरी कभी नहीं घटती। अतः इस प्रकार दूरी समय ग्राफ केवल बिन्दु A तक ही सत्य है। बिन्दु A के पश्चयात यह सत्य नहीं है।
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